Posts

Showing posts with the label Hindi

इन्द्र जिमि जंभ पर | कवि भूषण

Image
छत्रपति शिवाजी महाराज पर लिखी वीर रस की यह महान कविता जो आज भी हमें अचम्भित कर देती है वह कवि भूषण द्वारा रचित हैं ।  कवि भूषण वीर रस के अद्वितीय कवि थे और उन्होंने अपने काव्य द्वारा तत्कालीन असहाय हिंदू समाज को वीरता का पाठ पढ़ाया और उन्हें आक्रांताओ का विरोध करने के लिए प्रेरित किया ।     ( chatrapati shivaji maharaj/ jagran josh ) इन्द्र जिमि जंभ पर, बाडब सुअंभ पर, रावन सदंभ पर, रघुकुल राज हैं। पौन बारिबाह पर, संभु रतिनाह पर, ज्यौं सहस्रबाह पर राम-द्विजराज हैं॥ दावा द्रुम दंड पर, चीता मृगझुंड पर, 'भूषन वितुंड पर, जैसे मृगराज हैं। तेज तम अंस पर, कान्ह जिमि कंस पर, त्यौं मलिच्छ बंस पर, सेर शिवराज हैं॥ ऊंचे घोर मंदर के अंदर रहन वारी, ऊंचे घोर मंदर के अंदर रहाती हैं। कंद मूल भोग करैं, कंद मूल भोग करैं, तीन बेर खातीं, ते वे तीन बेर खाती हैं॥ भूषन शिथिल अंग, भूषन शिथिल अंग, बिजन डुलातीं ते वे बिजन डुलाती हैं। 'भूषन भनत सिवराज बीर तेरे त्रास, नगन जडातीं ते वे नगन जडाती हैं॥ छूटत कमान और तीर गोली बानन के, मुसकिल होति मुरचान की ओट मैं। ताही समय सिव...

भर्तृहरि नीतिशतकम्

Image
राजा भर्तृहरि एक महान् संस्कृत कवि थे।  परिचित संस्कृत साहित्य के इतिहास में भर्तृहरि एक नीतिकार के रूप में प्रसिद्ध हैं। इनके शतकत्रय की उपदेशात्मक कहानियाँ भारतीय जनमानस को विशेष रूप से प्रभावित करती हैं। भर्तृहरि संस्कृत मुक्तककाव्य परम्परा के कवि हैं। भर्तृहरि ने गुरु गोरखनाथ का शिष्य बनकर वैराग्य धारण कर लिया था इसलिये इनका एक लोकप्रचलित नाम  बाबा भरथरी  भी हैं।                       भर्तृहरि | (इमेज: विकिमीडिया कॉमन्स ) संस्कृत विद्वान और टीकाकार भूधेन्द्र ने नीतिशतक को निम्नलिखित भागों में विभक्त किया है, जिन्हें 'पद्धति' कहा गया है- मूर्खपद्धतिः विद्वतपद्धति मान-शौर्य-पद्धति अर्थपद्धति दुर्जनपद्धति सुजनपद्धति परोपकारपद्धति धैर्यपद्धति दैवपद्धति कर्मपद्धति भर्तृहरि शतकत्रय की उपदेशात्मक कहानियाँ भारतीय जनमानस को विशेष रूप से प्रभावित करती हैं।  भर्तृहरि ने   रसपूर्ण भाषा में नीति, वैराग्य तथा श्रृंगार जैसे गूढ़ विषयों पर शतक-काव्य लिखे हैं। कश्मीर से कन्याकुमारी तक उनकी रचनाएं भिन्न-भ...

विद्वतपद्धति | भर्तृहरि नीतिशतकम्

Image
विद्वतपध्दति | विद्वान व्यक्ति पर  शास्त्रोपस्कृतशब्दसुन्दरगिरिः शिष्यप्रदेयागमा विख्याताः कवयो वसन्ति विषये यस्य प्रभोर्निधनः । तज्जाड्यं वसुधाधिपस्य कवयो ह्यर्थं विनापीश्वराः कुत्स्याः स्युः कुपरीक्षका न मणयो यैरर्घतः पातितः ॥ अगर कोई प्रसिद्ध कवि जो अपने शब्दों का सुन्दर इस्तेमाल करने में माहिर है, और शास्त्रों के ज्ञान में पारंगत है तथा अपने शिष्यों को भी पारंगत करने योग्य है; आपके राज्य में निर्धन है तो हे राजन यह आपका दुर्भाग्य है न की उस विद्वान कवि का! ज्ञानी पुरुष आर्थिक संपत्ति के बगैर भी अत्यंत धनी होते हैं। बेशकीमती रत्नों को अगर कोई जौहरी ठीक से परख नहीं पाता तो ये परखने वाले जौहरी की कमी है क्यूंकि इन रत्नो की कीमत कभी कम नहीं होती।  हर्तुर्याति न गोचरं किमपि शं पुष्णाति यत्सर्वदा ह्यर्थिभ्यः प्रतिपाद्यमानमनिशं प्राप्नोति वृद्धिं पराम् । कल्पान्तेष्वपि न प्रयाति निधनं विद्याख्यमन्तर्धन येषां तान्प्रति मानमुज्झत नृपाः कस्तैः सह स्पर्धते ॥ ज्ञान अद्भुत धन है, ये आपको एक ऐसी अद्भुत ख़ुशी देती ह...

मूर्खपद्धतिः | भर्तृहरि नीतिशतकम्

Image
मूर्खपद्धतिः | अल्पज्ञ व्यक्ति पर दिक्कालाद्यनवच्छिन्नानन्तचिन्मात्रमूर्तये । स्वानुभूत्येकमानाय नमः शान्ताय तेजसे ॥ यां चिन्तयामि सततं मयि सा विरक्ता, साप्यन्यमिच्छति जनं स जनोऽन्यसक्तः ।  अस्मत्कृते च परिशुष्यति काचिदन्या, धिक्तां च तं च मदनं च इमां च मां च ॥  जिस स्त्री से मैं प्रेम करता हूँ उसके ह्रदय में मेरे लिए कोई प्रेम नहीं है,बल्कि वह किसी और से प्रेम करती है,जो किसी और से प्रेम करता है, और जो स्त्री मुझसे प्रेम करती है उसके लिए मेरे ह्रदय में कोई स्नेह नहीं है। मुझे इन सभी से और खुद से घृणा है।  अज्ञः सुखमाराध्यः सुखतरमाराध्यते विशेषज्ञः । ज्ञानलवदुर्विदग्धं ब्रह्मापि नरं न रञ्जयति ॥ एक मुर्ख व्यक्ति को समझाना आसान है, एक बुद्धिमान व्यक्ति को समझाना उससे भी आसान है, लेकिन एक अधूरे ज्ञान से भरे व्यक्ति को भगवान ब्रम्हा भी नहीं समझा सकते, क्यूंकि अधूरा ज्ञान मनुष्य को घमंडी और तर्क के प्रति अँधा बना देता है। प्रहस्य मणिमुद्धरेन्मकरवक्रदंष्ट्रान्तरात्स मुद्रमपि सन्तरेत्प्रचलदूर्मिमालाकुलम् । भुजङ्गमपि कोपितं शिरसि पुष्पवद्धारय...

भारतीय भाषाओं में आधुनिक शास्त्रीयता को लाने में चुनोतियाँ और सुजाव।

Image
भारत सरकार द्वारा आदेश के अनुसार कुछ संस्थाओं में प्रौद्योगिकी शिक्षा को भारतीय भाषाओं में देने की शुरुआत होगी। यह लेख एक जर्मन प्रोफेसर के द्वारा नेटिव भाषाओं में आधुनिक शास्त्रीयता को लाने के अपने अकादमिक अनुभव को साजा करते हुए लिखे गए लेख का हिंदी अनुवाद है।  कुछ IITs और NITs द्वारा इंजिनीरिंग कोर्सेज को भारतीय भाषाओं में लाने की पहल। भरतीय भाषाओं में शिक्षा देते वक़्त सब्से बड़ी समस्या होती है कि इन भाषाओं में पढ़ाने के लिए पहले से कोई कोर्स मटेरियल और पुस्तकें उपलब्ध नहीं है। लेखक का कहना है कि वह भी अधिकतर भारतीयो की तरह अंग्रेजी माध्यम में ही पड़े हैं। लेकिन अब वह जर्मनी के एक विश्वविद्यालय मैं पड़ा रहे हैं और उनका अनुभव आने वाले हिंदी भाषी अध्यापकों के लिए मददगार साबित होगा। लेखक का कहना है कि वह कभी जर्मन भाषा के फॉर्मल विद्यार्थी नहीं थे और उन्होंने जर्मन को खुद से ही सीखा है। लेखक की विडंबना को उन भारतीय अध्यापक के साथ देखा जा सकता है जो भरतीय भाषाओं में नहीं पड़े।शुरुआत मुश्किल होती है लेकिन इसे क्रियान्वत किया जा सकता है।  लेखक कई ऐसे कॉर्स पढ़ाते हैं ...

वागड़ | वीर बाला कालीबाई

Image
जून १९४७ में रास्तापाल गांव में कालीबाई ने  12 वर्ष  की उम्र में अपने शरीर को छोड दिया। अंग्रेजों के शोषण के विरूद्ध बहादुरी की एक मिसाल कायम कर समाज में शिक्षा अलख जगाई। वीर काली बाई का जन्म डुंगरपूर के एक गाँव  रास्तापाल में हुआ था। महारावल लक्ष्मणसिंह उस समय डूंगरपुर के जागीरदार थे और पूरे देश पर अंग्रेजी शासन का कहर था।                                                  (साभार: Patrika ) उस समय के महान समाजसेवी श्री भोगीलाल पंड्या के तत्वावधान में एक आंदोलन चलाया जा रहा था जो समाज में फैली कुरीतियों को दूर कर रहा था और समाज मैं सभी लोगों तक शिक्षा लेजा रहा था। डूंगरपुर के हर सामाज तक शिक्षा को लेजाने कि कामना से चल रहा यह आंदोलन अंग्रेजी हुकूमत को रास नहीं आया और रियासत पर इन पाठशालाओं को बंद करने का दबाव बनाया गया और सन 1942 में तो कानुन बनाकर पाठशाला बंद करने का आदेश दे दिया गया। एक मजिस्ट्रेट नियुक्त करके गांव की सभी पाठशालाओं ...