वागड़ | वीर बाला कालीबाई

जून १९४७ में रास्तापाल गांव में कालीबाई ने 12 वर्ष की उम्र में अपने शरीर को छोड दिया। अंग्रेजों के शोषण के विरूद्ध बहादुरी की एक मिसाल कायम कर समाज में शिक्षा अलख जगाई। वीर काली बाई का जन्म डुंगरपूर के एक गाँव रास्तापाल में हुआ था। महारावल लक्ष्मणसिंह उस समय डूंगरपुर के जागीरदार थे और पूरे देश पर अंग्रेजी शासन का कहर था। (साभार: Patrika ) उस समय के महान समाजसेवी श्री भोगीलाल पंड्या के तत्वावधान में एक आंदोलन चलाया जा रहा था जो समाज में फैली कुरीतियों को दूर कर रहा था और समाज मैं सभी लोगों तक शिक्षा लेजा रहा था। डूंगरपुर के हर सामाज तक शिक्षा को लेजाने कि कामना से चल रहा यह आंदोलन अंग्रेजी हुकूमत को रास नहीं आया और रियासत पर इन पाठशालाओं को बंद करने का दबाव बनाया गया और सन 1942 में तो कानुन बनाकर पाठशाला बंद करने का आदेश दे दिया गया। एक मजिस्ट्रेट नियुक्त करके गांव की सभी पाठशालाओं ...